लोक निर्माण विभाग का संक्षिप्त इतिहास |
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सन 1777 से 1848 तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी
एक मिलिट्रि बोर्ड के मध्यम से सभी प्रकार के निर्माण कार्य कराती थी। इस
बोर्ड के पास तीन इंजीनियर ग्रुप थे। तत्कालीन गवर्नर जनरल ऑफ इण्डिया
लार्ड डल्हौजी द्वारा सिविल कार्यों के निर्माण हेतु एक अलग एजेंसी की
आवश्यकता महसूस की गयी। फलस्वरूप्न 1849-50 में पंजाब प्रान्त में पब्लिक
वर्क्स डिपर्ट्मेन्ट खोला गया। 1854 में तत्कालीन नार्थ-वेस्ट प्राविन्स (वर्तमान
उ.प्र.) में भी पी.डब्लू.डी. खोला गया। इस विभाग को भवन, मार्ग, सिंचाई,
रेल्पथ, मिलिट्री सुरक्षा, जल आपूर्ति जैसे विविध कार्य सौपे गये। इसमें
सिंचाई ब्रांच रखी गयी, जिस्का मुखिया डायरेक्टर ऑफ कैनाल कहा जाता था।
पी.डब्लू.डी. का एक सेक्रेटरी भी बनाया गया परन्तु यह विभागीय मुख्य
अभियन्ता एवं सेक्रेटरी दोनो ही पदों का कार्य देखता था। 1861-62 में एक
मुख्यअ भियन्ता, तिन वृत तथा 20 डिवीजन थे। 1870-71 में सिंचायी कार्यों
हेतु मुख्य अभियन्ता कम ज्वाइंट सेक्रेटरी का एक अलग पद सृजित किया गया।
1882 में लोकल सैल्फ गवर्नमेंट स्कीम लागू की गयी जिसके तहत स्थानीय एवं कम
महत्व की सड़कें लोकल बोर्ड को सौंप दी गयी।
1888 में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट स्थायी किया गया। शुरू में थाम्पसन इंजिनियरिंग कालेज रूड़की का पूर्ण संचालन इसी विभाग पी.डब्लू.डी. की देखरेख में आ गया। 1948 में यह विद्यालय रुढ़की यूनिवर्सिटी बना दिया गया। 1901 में नॉर्थ वेस्ट प्रविन्स का बदल कर किया गया। तभी से यह विभाग यू. पी.डब्लू.डी. कहलाया। 1908 में कार्यरत पद इस प्रकार थे। जुलाई 1972 में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का सृजन
किया गया जिसमें ग्रामीण सड़कें, भवन निर्माण कार्य इसे सौंपा गया। 1973
में सेतु निगम तथा 1976 में निर्माण निगम अलग स्थापित किये गये। 1980 में
कार्यों को बेहतर पर्यवेक्षण हेतु का केन्द्रीयकरण किया गया। मेरठ,
गढ़वाल, लखनऊ तथा वाराणसी को मुख्यालय बनाने हेतु प्रदेश को चार क्षेत्रों
में बांटा गया। इन मुख्यालयों पर क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं की तैनाती की
गयी। उस समय मेरठ क्षेत्र में मेरठ, आगरा, बुन्देलखण्ड कमिश्नरी रखी गयी तथा
गढ़वाल में गढ़वाल व कुमाऊ। लखनऊ क्षेत्रों में लखनऊ, इलाहाबाद व झांसी तथा
वाराणसी क्षेत्रों में वाराणसी, गोरखपुर व फैजाबाद कमिश्नरी रखी गयी। 1984
में बरेली, कानपुर व अलमोड़ा तथा पुनः 1987 में फैजाबाद, गोरखपुर, झांसी व
आगरा बनाये गये। इस प्रकार 1992 तक विबाग में स्वीकृत पदों की संख्या इस
प्रकार हो गयी थी। प्रमुख अभियन्ता-1 पद, मु.अभि.स्तर- (निर्माण-निगम व सेतु-निगम के
प्रबंध निदेशक के पद को छोड़कर मुख्य अभि.स्तर-11-19 पद, अधी अभियंता-सिविल
83 पद व 6 वि./या.अधि. (सि) 394, अधि.अभि. (वि/या.)-46, स. सिविल-1429
स.अ.वि./या.-186 पद। अधीक्षण अभियंता के पदों का विवरण मुख्य अभियंता मुख्यालय – 11 के अधीन पद – व्यव. वर्ग. अधी.अभि. (सामान्य) उक्त के अतिरिक्त इस विभाग में तीन सीनियर आर्किटेक्ट, एक वरिष्ठ एवं वित्त लेखाधिकारी (प्रतिनियुक्ति से) तथा तीन विधि अधिकारी के पद भी हैं। साथ ही निदेशक अन्वेषणालय तथा निसेशक क्वालिटी प्रमोशन सेल भी (अधिरक्षण अभियंता) के समक्ष कार्यरत हैं। उ.प्र. शासन ने सा.नि.विभाग का नाम अपने आदेश सं. 1898/22-4-90/47 एन/90 दि. 10/4/90 द्वारा लोक निर्माण विभाग कर दिया है। इस दिशा में कार्यरत रहे मुख्य अभियंताओं का कार्यकाल इस प्रकार है उक्त तालिका से स्पष्ट है कि ब्रिटिश काल में इं. छोटन लाल भारतीय मूल के प्रथम मुख्य अबभयंता बने। प्रमुख अभियंता 1962-63 में इं. जगदीश प्रसाद पहले मुख्य अभियंता बने जो 1964 में सेवा निवृत हुये। इन्हें पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत किया गया था। परन्तु इनके सेवा निवृत्ति के पश्चात यह पद समाप्त हो गया। पुनः नवम्बर 1989 में इं. पी.एन. राय प्रमुख अभियंता बने। तब से अब तक बने प्रमुख अभियंताओं का कार्यलय इस प्रकार है- |
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शासन स्तर – जहाँ 1935 तक सिंचाई सा.नि.वि. एक ही
सचिवालय के आधीन कार्य कर्ता था, वहीं पर अब मात्रा लो.नि.वि. की देखरेख के
लिये सचिवालय स्तार पर एक प्रमुख सचिव, दो सचिव, विशेष सचिव, दो संयुक्त
सचिव, तीन उप सचिव तथा एक अनुसचिव नियुक्त है।
पदानुक्रम – इस विभाग में तकनीकी पदों का क्रम इस प्रकार है- प्रमुख अभियंता – मुख्य अभियन्ता स्तर – 1, 11 अधीक्षण अभियंता – अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता – जूनियर इंजीनियर (सिविल, यांत्रिक, प्रवधिक) 1854 में स्थापित यह विभाग धीरे-धीरे प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग बना परन्तु 1923 के बाद इसके टुकड़े होने शुरू हुए। आज यह विभाग अभियंताओं के लिये, स्वयं काम की बांट जोह रहे हैं। प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण यह विभाग आज शासन की तरफ से लगभ उपेक्षित है। इस्की पुरानी गरिमा समाप्त होती जा रही है। नई नियुक्तियाँ लगभग बंद हैं। आकार छोटा होता जा रहा है। आइये कुछ सोचें, अपने इस पतृक के विषय में। यह अपना घर है। इस घर को गरिमामय बनाना है। नोट : नवम्बर 2000 में उत्तरांचल राज्य के गठन के फलस्वरूप पर्वतीय संवर्ग के पद/शाखायें उक्त राज्य को स्थानान्तरित हो गये हैं। 1919 में विभाग को मंत्रालय के अधीन किया था। 1921 में शासन ने सिंचाई
व्यवस्था को एक आरक्षित विषय स्वीकार किया। फलस्वरूप 1924 में सिंचाई व
पी.डब्ल्यू.डी. के उच्च्तर पदों पर अलग-अलग की जाने लगी। 1935 में सिंचाई
सचिव का पद अलग किया गया। अन्ततोगत्वा 1938 में सिंचाई विभाग बना दिया गया।
तब पी.डब्ल्यू.डी. मात्र भवन व मार्ग निर्माण कार्य हेतु रह गया। तभी से यह
पी.डब्ल्यू.डी. (बी. एण्ड आर.) कहा जाने लगा। पहले इस विभाग का मुख्यालय
इलाहाबाद था। 1923 में इसका मुख्यालय लखनऊ (वर्तमान पुराने भवन में)
स्थापित किया गया। 1927 में मुख्य अभियान्ता व सचिव के पद अलग-अलग बनाये
गये। परन्तु 1930 तक मुख्य अभियंता ही दोनो कार्यों को देखते रहे तथा 1931
तक पी.डब्ल्यू.डी. के वर्तमान भवन लखनऊ में ही सचिवालय भी काम करता रहा।
1931 में यह सचिवालय अलग किया गया। 1931 में राजपुताना पब्लिक वर्क्स
डिपार्टमेंट अलग किया गया। जो बाद में सी. पी.डब्ल्यू.डी. में मिलाया गया।
1931 में ही रेलवे को अलग किया गया। 1925-26 में पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट
को पी.डब्ल्यू.डी. से अलग करके म्युनिसिपल विभाग को दे दिया गया। विभाग पदों
की संख्या काम के अनुपात से बढ़ति रहीं यथा-1924 में सिंचाई व पी.डब्लू.डी.
के उच्चतर पदों पर अलग अलग नियुक्ति की जाने लगी। 1934 में सिंचाई शाखा के
अर्न्तगत हाइडिल विभाग नाम से एक अलग शाखा बनाई गई जो 1 अप्रैल 1959 को
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के रूप् में परिवर्तित हुई। 1935 में
सिंचाई सचिव के पद अलग किये गये। अन्ततोगत्वा 1938 में सिंचाई विभाग एक
स्वतंत्र विभाग बना दिया गया। तब पी.डब्लू.डी मात्र भवन व मार्ग निर्माण
कार्य हेतु रखा गया। तभी से यह पी.डब्लू.डी. (बी.एण्ड आर.) कहा जाने लगा।
पहले इस विभाग का मुख्यालय इलाहाबाद था। 1923 में इसका मुख्यालय लखनऊ (वर्तमान
पुराने भवन में) स्थापित किया गया। 1927 तक मुख्य अभियंता व सचिव के पद
अलग-अलग बनाए गए। परन्तु 1930 तक मुख्य अभियंता ही दोनों कार्यो को देखते
रहे तथा 1939 तक पी.डब्लू.डी. के वर्तमान भवन लखनऊ मे ंही सचिवालय भी काम
करता रहा। 1939 में यह सचिवालय अलग किया गया। 1939 में राजपूताना पब्लिक
वर्क्स डिपार्टमेन्ट अलग किया गया। जो बाद में ब्च्ॅक् में मिलाया गया।
1939 में ही रेलवे को अलग किया गया। 1925-26 में स्थानीय सड़के लोकल बोडीज
को दे दी गई परन्तु प्रान्तीय सड़के पी.डब्लू.डी. के पास ही रही। 1927 में
पब्लिक हैल्थ डिपार्टमेन्ट को पी.डब्लू.डी. से अलग करके म्युनिसिपल विभाग
को दे दिया गया। |
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